प्रेम और दोस्ती...दोनों ताड़-ताड़

प्रेम को दुनिया में पवित्र रिश्ता के रूप में माना जाता है। साथ ही दोस्ती को रिश्तों से भी उपर का दर्जा दिया गया हैं। परंतु पटना में मुजफ्फरपुर के एक लड़की के साथ हुए गैंग रेप की घटना ने, प्रेम और दोस्ती...दोनों को ताड़-ताड़ कर दिया। घटना में जहां मामले का मास्टरमाइंड प्रेमी निकला वहीं, गैंग रेप में शामिल बाकी के प्रेमी का दोस्त!!

एक असल प्रेमी का कर्तव्य बनता है कि प्रेमिका को, हरेक तरीके से सुरक्षा प्रदान करें। जो की अमूमन सारे हिन्दी फिल्मों में देखने को मिलता है। दुसरी ओर दोस्त की प्रेमिका को भाभी माना जाना चाहिए, क्योंकि भविष्य में दोस्त की प्रेमिका ही..दोस्त की पत्नी भी बनती हैं।
और हमारे समाज में भाभी को माँ का दर्जा दिया जाता हैं, फिर समझिए कि ये हैवानियत किसके साथ कि गई???

लड़कियों को भी थोड़ा सचेत होना होगा। साथ ही, चकाचौंध भरी दुनिया में मन को नियंत्रण में रखने की जरूरत है। यदि आपके पास प्यार करने वाला परिवार है, फिर अचानक किसी अन्य की क्या जरूरत आन पड़ती है?
एक उम्र लगभग 18-20 साल, जब तक परिपक्वता ना आ जाए, लड़को से दोस्ती करिए...उसके बाद प्रेम...क्योंकि तब तक परिवार वालों का प्यार काफी होता है। हां,यदि किसी अपरिचित से प्यार करना ही है तो भरपूर समय देकर पहले यह सुनिश्चित कर लें कि वह आपके लायक है भी या नहीं।
और जब आपको लगे की, सच में प्रेम करता है तो सारे दुनिया को बता कर के प्यार करें। जिसमें दोनों के घर वाले भी शामिल हों।
ध्यान रहें कहीं ऐसा तो नहीं...आपका प्रेमी हमेशा आपसे केवल मनमोहक बातें/ या अश्लील बातें करने पर ही जोड़ देता। यदि जोड़ देता है तो फिर, सचेत होने की जरूरत है!

अभिभावकों को भी ध्यान देना चाहिए, बच्चों को बड़े शहर में भेज देने मात्र से आपकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती। आपको भी हर रोज फोन पर ही सही बात कर के प्यार जताने अथवा यह अहसास दिलाने की जरूरत है कि हमलोग दुर रह कर के भी साथ हैं। क्योंकि जब बच्चों को परिवार का प्यार कम मिलना शुरू होता है और उसके बदले किसी अनजान व्यक्ति से, उस रिक्त स्थान की पूर्ति होती है तब अनायास ही नजदीकी बढ़ना लाजिमी है।

#सावधान_रहें_सतर्क_रहें...
#जरूरी_नहीं_की_ठोंकर_खा_के_ही_सिख_ली_जाए,
#दूसरों_के_ठोंकर_से_भी_सिख_लिया_जा_सकता_है

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