मोतिहारी (चम्पारण)- गाँधी का कर्मभूमि, मेरा जन्मभूमि











वैसे तो पूरे देश की तरक्की हमारे लिए मायने रखता है। पर जब बात जन्मस्थान की हो तो हरेक व्यक्ति के लिए वो जगह पहले प्रासंगिक होता है।
और मैं बात कर रहा हूँ अपने फादर डिसट्रीक मोतिहारी (बिहार) की, जो मेरे लिए हमेशा प्रासंगिक रहा है।
लोग कहते हैं ना कि पारस पत्थर में लोहा सटाने से लोहा सोना हो जाता है। वैसे ही आजकल नेता लोग बिहार का पारस मोतिहारी (चम्पारण) को समझने लगे है। उन्हें लगता है कि गाँधी जी की तरह ही उनकी भी कर्म भूमि चम्पारण बन जायेगी। गठबंधन में रहते हुए जब राष्ट्रीय लेबल पर ख्याति की जरूरत पड़ती है तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पैदल ही पूरे जिले में घुमने लगते हैं। फिर गठबंधन टुटने पर लालू यादव के दोनों लाल को भी विश्वासघात रैली के लिए चम्पारण ही याद आता है। नीतीश सरकार की हर घर जल योजना के शुरुआत के लिए भी चम्पारण को ही  चुना जाता है।
जन अधिकार पार्टी (जाप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव भी बात-बात पर जिले में आ धमकते है। पर किसी ने भी असल में जिले के लिए अपने स्तर से कुछ खास नहीं किया है।
पिछले साल ही शहर के युवा नेता छोटू जायसवाल के मर्डर के बाद कई दलों के नेताओं ने शहर बंद कर मुस्कुराते तो कोई चिल्लाते हुए कई फोटो अपलोड किये।
मैं पूछना चाहूँगा कि उससे क्या फायदा हुआ?
क्या अभी तक हत्यारे पकड़े गये? 
उतना ही फिक्र होता तो प्रशासन पर दबाव बनाते ना की शहर को बंद कर शहरवासीयो को परेशान करते।
और इस जिले का सबसे बड़ा दुर्भाग्य BJP के MLA और MP का होना है। जो जितने के बाद ना जाने किस बिअल में घुस जाते हैं।
जिले में ढंग का कोई मेडिकल काॅलेज नहीं है। केंद्रीय विश्वविद्यालय को मोतिहारी में बनवाने का श्रेय भी किसी पार्टी नेता को देना बेईमानी होगा। क्योंकि उसको लाने के लिए शहर के छात्र एवं जिलावासियो ने मेहनत करी है।
जिलें मे दो-तीन चीनी मील है, जिनमें सभी के सभी सालों से बंद पड़े है।
तरक्की के नाम पर मोतिहारी के बलुआ चौक पर एक ओवर ब्रीज बना है तो उसके डिजाइन इंजीनियर को सलाम ठोकना चाहूँगा, ब्रीज के उपर में स्टेशन से आने  और हाॅस्पिटल चौक के लिए मुड़ने वाले मोड़ बनाने के लिए। क्योंकि उस मोड़ पर सतर्कता ना बरती जाए तो रोज सैकड़ों एक्सिडेंट होंगे। शहर में फिलहाल जर्जर मोतिझील पुल की जगह, एक चौड़ी नया पुल और चान्दमारी गुमटी के साथ साथ कचहरी चौक गुमटी के उपर ओवर ब्रीज की जरूरत है जिसकी ना कोई पार्टी और ना ही कोई नेता बात करता है।
हाल ही में बिहार के एक जिला, दरभंगा से फ्लाइट उड़ान चालु होने वाली है।
वैसे ही मोतिहारी में या मोतिहारी-नेपाल बोर्डर रक्सौल में  एक छोटा एयरपोर्ट ही सही, बना कर हवाई-जहाज उड़ान की शुरुआत किया जाता तो गाँधी के कर्म भूमि चम्पारण आने वाले और नेपाल जाने वाले पर्यटकों के लिए फायदेमंद साबित होता।
जिले में मोतिहारी-रक्सौल और रक्सौल-घोड़ासहन नहर सड़क की दुर्दशा भी किसी से छुपी हुई नहीं है। चाहे गाड़ी कोई भी हो, मजा लक्ष्मण झुला का ही आता है।
तो अंत में अब जिलेवासियों को ही सोचना होगा कि अपने मतलब के ढिंढोरा/डुगडुगी पिटने वाले का साथ देना है या उनका बाजा फोड़ बाहर का रास्ता दिखाना है!!

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